जिस देश में ब्रिटिश कानून लागू हो वहां हम लोकतंत्र की दुआऐं कैसे दें। आज माननीय उच्चतम न्यायालय नें यह कहा कि दिल्ली की घटना पर ब्रिटिश जैसी कार्यवाही होनी चाहिए। दिल्ली में जो भी घटना घटी वो दुर्भाग्यपूर्ण है। हम कहना क्या चाहते है हम सचमुच यही कहना चाहते है कि भारत में पुलिस प्रशासन राजनीतिक के बंधवा मजदूर है। चाहे न्यायालय देख लो चाहे चुनाव आयोग देख लो घटना बड़ी ही दिलचस्प होती है हमारी पुलिस उसे कहते है भारतीय पुलिस चलो भारतीय पुलिस की बात तो हम नही करेगे पर राजस्थान पुलिस की बात तो जरूर करेगे। जहां एक संस्था नाम है आलोक बाल शिक्षण संस्थान उस पर मुकदमे लगे और जैल भी काटी फर्जी मोहरें भी बरामद हुई वो किसी भी संस्था की नही थी पुलिस ने जैलों मे ड़ाल दिया एक पब्लिक आॅफिसर के सम्मुख दस्तावेज पेश करने वाले और शपथ पत्र देने वाले व्यक्ति को उसने यह लिखा कि दस्तावेज सत्य और सही है। उसके बावजूद जो मुकदमे लगे वो भारतीय संविधान या भारत के संविधान बनाने वालों पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। अंधा कानून नम्बर 01 भारतीय संविधान या चुनाव आयोग या उच्चतम न्यायालय पर आज एक प्रश्नचिन्ह लगता है। राजनीतिक भ्रष्टाचार स्वार्थ की राजनीति कितनी गंदी हो सकती है। भारत में या राजस्थान में जहां शपथ पत्र की वैल्यू एक कोरा कागज हो उसकी विशेषता कुछ भी नही हो वहां लोकतंत्र कैसे हो सकता है। दुआऐं दे किसको भारत का संविधान सचमुच संविधान नही है गलती किसने की है यह अभी भी पता नही है हम तो यही लिखेगे की भगत सिंह जैसे लोगों पर जो कार्यवाही हुई है वो आज भी भारत के संविधान में लागू है। लाख दुआऐं बीजेपी दे और लाख दुआऐं कोई नेता दे भारतीय कानून की धाराऐं हमारे महानेता अंबेड़कर के जन्म से पहले की है कौन कहता है भारत में लोकतंत्र है और कानून व्यवस्था है। अम्बेड़कर की दुआऐं तो सब देते है क्या अम्बेड़कर जी भारतीय दंड संहिता 1860 में ही पैदा हो गये थे। भारतीय संविधान कब लिखा गया यह तो हमारे नेताओं को भी पता नही है दुर्भाग्य मेरे देश का है जिस देश में कार्यवाही 1860 में हो तो कौनसे नेता महान हो सकते है। सचमुच भारतीय कानून यह भारतीय न्याय व्यवस्था या अन्य कोई कानून यह सचमुच संविधान के बाहर की बातें है?
भारतीय कानून व्यवस्था 1860 की। देश के संविधान के निर्माता का जन्म हुआ था 1891 में। अब काूनन व्यवस्था कौनसी?